Jamui -बरहट थाना क्षेत्र अंतर्गत आंजन कुकुरझप डैम पर कभी नक्सलियों की तूती बोलती थी। नक्सलियों का खौफ यहां ऐसा था, कि दिन के उजाले में भी आसपास के लोगों को काले बादल नजर आते थे। इस क्षेत्र के आसपास दिन भर सन्नाटा पसरा रहता था। डैम की और जाने के लिए किसी को हिम्मत नहीं होती थी। लेकिन बदलाव की बयार ऐसी वही की इस इलाके में चकाचक सड़क ,स्कुल और रोजगार सृजन की योजना दिखाई देने लगी।
यह सब आसान होने में जनता ने भी पुलिस-प्रशासन का भरपूर साथ दिया और इस इलाके से नक्सलियों ने अंतिम सांस ले ली। अब इस डैम की धरा पर न बंदूकें गरजती है, न ही अब लोग डैम की और जाने से हिचकिचाते हैं। अब तो लोग यहां अपने परिवार बालों के साथ झूमने तथा पिकनिक मनाने आते हैं। दिन भर डैम पर पर्यटकों का तांता लगा रहता है। जो बदलाव की गाथा बयां कर रही है।

कभी कुकुरझप डैम आने दौरान नक्सलियों ने कर दिया था डीआईजी मनु महाराज का रास्ता अवरुद्ध
साल 2020 में पुलिस कम्युनिटी के तहत मुंगेर प्रक्षेत्र के तत्कालीन डीआईजी मनु महाराज, जमुई एसपी इनामुल हक मेंगनु तथा सीआरपीएफ कमांडेंट अपने दल बल के साथ चोरमारा गांव के दुर्दात नक्सली बालेश्वर कोड़ा और अर्जुन कोड़ा घर पर दस्तक दी थी। उस समय इस इलाके में नक्सलबाद चरम सीमा पर था। दोनों नक्सलियों के घर की तलाशी लेने के बाद डीआईजी मनु महाराज अपने दस्ते के साथ चोरमारा ,गुरमाहा के रास्ते जब कुकुरझप डैम की ओर आ रहे थे तभी नक्सलियों ने रास्ते पर बोल्डर तथा पेड़ गिरकर रास्ता अवरुद्ध कर दिया था। इसकी सूचना पुलिस अधिकारियों के मिलने के बाद सभी पुलिस पदाधिकारी रास्ते में ही रुक गए थे। वहीं सुरक्षा बलों ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया था तथा एरिया डोमिनेशन टीम के द्वारा त्वरित इलाके में सर्च अभियान चलाया गया था। सब कुछ सामान्य स्थिति पाए जाने के बाद ही डीआईजी मनु महाराज उक्त रास्ते से बरहट पहुंचे थे।

कुकुरझप डैम से एक साथ माँ बेटे का शव पुलिस ने किया था बरामद
कुकुरझप डैम का इलाका सुनसान होने का कारण यहां नक्सली जब चाहते थे, घटना को अंजाम देकर बड़ी आसानी से जंगल की ओर चले जाते थे। 14 जुलाई 2017 को स्थानीय थाना की पुलिस यहां से तीन लोगों के शव को बरामद किया था। मृतकों में चोरमारा गांव के शिवा कोड़ा, बजरंगी कोड़ा तथा मीना देवी थी। सभी रिश्ते में माँ बेटा था। नक्सलियों ने पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर इन लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
डैम और आस पास के इलाके की ऐसे बदली लगी तस्वीर
कुकुरझप डैम का क्षेत्र काफी लंबा चौड़ा है। डैम की तीन दिशा में घने जंगल तथा बड़े -बड़े पहाड़ है। पहाड़ से सटे कई नक्सल प्रभावित गांव भी है। जिसमे सबसे ज्यादा प्रभावित गुरमाहा और चोरमारा गांव का इलाका है। इस दोनों गांव की छोर डैम से सटे होने के कारण नक्सली खुब फायदा उठाते थे। डैम के किनारे से चोरमारा और गुरमाहा गांव जाने के लिए कच्ची सड़क भी है और इसी रास्ते से नक्सली आया जाया करते थे। इलाके में नक्सली संगठन की दबदबा रहने से पुलिस इस इलाका में जाना उचित नहीं समझते थे। डैम पर नक्सलियों के द्वारा कई लोगों की हत्या की घटना को अंजाम दे चुके थे।
लेकिन समय का चक्र घुमा और साल 2022 की फरवरी माह में चोरमारा गांव में सीआरपीएफ कैंप स्थापित किया गया। इसके बाद 5 मार्च को पुलिस- प्रशासन के द्वारा सिविक एक्शन प्रोग्राम आयोजन किया गया था। जिसमें की तत्कालीन जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह तथा पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार मंडल एवं सीआरपीएफ के अधिकारियों ने शामिल होकर इस गांव की तस्वीर बदलने को लेकर रणनीति तैयार किया था। पूरे इलाके में हर्डकोर नक्सली अर्जुन कोड़ा, बालेश्वर कोड़ा, एवं नागेश्वर कोड़ा का ख़ौफ़ था, जब ये तीनों नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष हथियार डालकर आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद इस इलाके में नक्सलियों के कमर टूट गई।

अब डैम में केज तकनीकी से की जा रही है मछली पालन
मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य विभाग ने जलाशय मास्की विकास योजना के तहत कुकुरझप डैम के 680 एकड़ में मछली पालन की स्वीकृति दी है। जिसके लिए मत्स्य विभाग ने एक एक संवेदक को 5 साल के लिए डैम की बंदोबस्ती की है। बंदोबस्ती किए जाने के बाद संवेदक के द्वारा डैम के एक हिस्सा में केज बिधि से रेहु और कतला प्रजाति के 20 लाख मछली का जीरा डाला गया है। 3 लाख की लागत से बने एक केज में मछली का उत्पादन किया जाएगा। पूरे पांच साल में 380 केज मछली पिंजरे में डाल कर उत्पादन की जाएगी। अभी शुरुआत में डैम के एक हिस्सा में जीरा डाला गया है ,जो तैयार होने के बाद संपूर्ण डैम में को डाला जाएगा। वहीं जीरा को तैयार करने में आधा दर्जन मजदूर लगे हुए हैं।
पर्यटन स्थल के रूप में डैम को विकसित करने की हो रही मांग
प्राकृतिक के गोद में बसा कुकुरझप डैम के किनारे हिलकोर मारते पानी ,बांध के चारों ओर पीपल ,शीशम,महुआ तथा अन्य फल -फूलों के पेड़ से निकलने वाली अमृत वायु ह्रदय को तृप्त कर देती है। इलाके से नक्सलियों की सफ़ाई होने जाने के बाद मछली पालन हो रही है। जिसे देखते हुए प्रखंड के कई जनप्रतिनिधी तथा समाजसेवी ने डैम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि डैम को विकसित करने को लेकर बीआईए के पर्यटन कमिटी के अध्यक्ष डैम का दौरा कर चुके हैं।
डैम पर जल्द लगेगी हाई मास्क लाइट
इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी एसके पांडेय ने बताया कुकुरझप डैम को विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग तथा जिलाधिकारी को प्रपोजल भेजा गया है। स्थानीय लोगों की मांग पर तत्काल एक हाई मास्क लाइट लगाया जाएगा।
बरहट से शशिलाल की रिपोर्ट